हिंदुली लोकगीत



 सावन-भांदव की झुकी अंधिअरिया नही हो आयेन ना

मोरे बिरन भइया नहीं हो आये ना ।। 1||


रहिया तकत बीतै, दिन दुपहरिया नहीं हो बीतै ना 

उहै सामन कै रतिया, नहीं हो बीतै ना।। 2।।


सासा ननदी मोरी ताना जो मारै, बिरह बोलै ना

मोरा लहुरा देवरबा बिरह बोलै ना।। 3।।


माया मोरी होती त सुध मोरी लेती, बिसरि गई ना 

मोरी भउजी का सुधिया बिसरि गई ना।। 4।।


पाँच डोली पनमा पच्चीस रे सुपड़िया, लये हो आमै ना

मोरे बीरन भइया चले हो आमै ना।। 5||


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