हिंदुली लोकगीत
अँगना बहोरत उड़िगा घुँघुटबा, पै ससुरू के परिगै नजरिया हो ना की तुम बारी धना संचबा की ढारी, पै की तुम्हीं गढ़िसी सोनरउ हो
अँगना बहोरत उड़िगा घुँघुटबा, पै जेठा कै परिगै नजरिया हो ना ।। 1 ।।
की तुम बारी धना संचबा की ढारी, पै की तुम्हीं गढ़िसी सोनरउ हो ना माया बाबुल मोरे जनम दीहिन है, पै सुरति दिहिस भगवानौ हो ना ।।2।।
अंगना बहोरत उड़िगा घुँघुटबा, पै देवरा के परिगै नजरिया हो ना की तुम बारी धना संचबा की ढारी, पै की तुम्हीं गढ़िसी सोनरउ हो ना माया बाबुल मोरे जनम दीहिन है, पै ससुरू दिहिन अहिबातउ हो ना।।3।
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