बघेली सोहर गीत


धन-धन नगर अयोध्या, धनै राजा दशरथ, धनै राजा दशरथ हो 

आबा धन रे कौशिल्या तोरी भाग्य, रमइया जहाँ जनमे, रमइया जहाँ जनमे हैं। ।1।। 

जउने दिना रामा जनम भे हैं, धरती आनंद भई, धरती आनंद भई हो

आबा बाजय लागीं आनंद बधइयां, गामे रे सखी सोहर, गामै रे सखी सोहर हो।।2।।


थारी भर मोतियां लुटावत, रानी सुख पावत, रानी सुख पावत हो आबा आबा हिय हर्षत सब देव, सुमन बरसावत, सुमन बरसावत हो।। 3 ।। 

कपिला का दुधवा मॅगउबै, ललन नहबउबै, ललन नहबउबै हो आबा आबा पीत पीताम्बर मुख पोछबै, सिंहासन पहुड़उबै, सिंहासन पहुड़उबै हो ।। 4 ||

 ललना की लुटरी झलरियां, बहुत नीक लागें, बहुत नीक लागें हो आबा गुहिदे कमल दल फूल, भँवरा अइसे गूँजैं, भँवरा अइसे गूँजें हो ।। 5||

 ललना की बड़ी-बड़ी अखियाँ, काजल भल सोहै, काजल भल सोहै हो आबा आबा आँजत फूफू सुभद्रा,अँगुलिया नहीं डोलै, अँगुलिया नहीं डोलै हो।।6।।

 ललना की छोटी-छोटी गोड़ियाँ, पैजनिया भली सोहै, पैजनिया भली सोहै हो आबा आबा धरत मधुरियन पाँव, मधुर सुर बाजय, मधुर सुर बाजय हो।। 7।।

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