बघेली लोकगीत

 ओरियों के तर-तर फिरइ, बहुरिया ता फिरइ बहुरिया हो राजा पीरा त हरतै हमार, धनिया तोरी व्याकुल धनिया तोरी व्याकुल हो।।1।।

सासू का मनतिउ ननदी का ही, मनतिउ ननद का ही, मनतिउ ननद का ही हो

आबा ओई हरय पीरा तोंहार, धना तुम सुनतिउ धना तुम सुनतिउ हो ।। 2।। ओरियाँ के तर-तर फिरय बहुरिया, त फिरइ बहुरिया हो

आबा हो राजा पीरा त हरतै हमार, धनिया तोरी व्याकुल, धनिया तोरी व्याकुल हो।। 3 ।। भयनेउ का मनतिउ बभना, जो मनतिउ बभना हो

आबा ओई हरते पीरा तोंहार, धना तुम सुनतिउ, धना सुनतिउ हो ।। 4।। कोठबा मा धरा हबै सोनमा, त चाँदिउ धरि हबै, त चाँदिउ धरि हबै हो

राजा भइने का देतेव बोलाए, त बभना बोलाइ देत्या, त बभना बोलाइ देत्या हो।। 5 ।।

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